भारत में प्रतिवर्ष 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination Day) मनाया जाता है। सभी फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स की कड़ी मेहनत को स्वीकार किया जा सके और उनकी सराहना की जा सके।
16 मार्च 1995 ओरल पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक भारत में दी गई थी। वैक्सीन्स ने दुनिया में बहुत सारी असंख्य घातक बिमारियों से असंख्य लोगो की जान बचायी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, "टीकाकरण जीवन के लिए खतरनाक संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने और संक्रामक रोगों को ख़त्म करने के लिए एक सिद्ध उपाय है।"
टीकाकरण से घातक संक्रामक रोगों से सार्वजनिक स्वस्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ ही लोगों के जीवन स्तर में भी बहुत बड़ा बदलाव आता है। इससे किसी देश और उसकी जनता के आर्थिक स्तर में भी सुधर आता है।
18वीं और 19वीं सदी के दौरान, चेचक के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण जारी रहा और 1979 में बड़े पैमाने पर टीकाकरण से चेचक का उन्मूलन हुआ।
1960 के दशक के दौरान, खसरा (Meseals), कण्ठमाला (Mumps) और रूबेला (Rubela) के खिलाफ वैक्सीन का आविष्कार किया गया था, जिसे एमएमआर (M.M.R.) के नाम से जाना जाता था।
एडवर्ड जेनर (Adverd Jenner) को टीका विज्ञान (Vaccinology) का जनक माना जाता है। उन्होंने एक 13 वर्षीय बच्चे को cowpox का टीका देकर चेचक के प्रति immunity का प्रदर्शन किया।
सामूहिक टीकाकरण के द्वारा भारत में 1997 के बाद चेचक का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है। साथ ही भारत पोलियो के खात्मे के भी बहुत नजदीक पहुँच चुका है।
अलेक्जेंडर ग्लेनी ने 1923 में फॉर्मलडिहाइड के साथ टेटनस को निष्क्रिय करने के लिए सही विधि पर शोध किया, और फिर उसी विधि से 1926 में डिप्थीरिया के टीके का विकास हुआ।
हमारे बाकी पोस्ट्स पढ़ने के लिए नीचे Learn More बटन पर क्लिक करें और हमारी वेबसाइट https://www.gyaniindia.com पर जाकर पोस्ट पढ़ सकते हैं।